धर्मांतरण क्या है

धर्मांतरण क्या है ? 


पिछले कुछ दिनों से भारत में धर्म परिवर्तन का मुद्दा समाचारो की सुर्खिया बनी हुई है आखिर यह धर्म परिवर्तन या धर्मान्तरण क्या होता है इसकी विभिन्न पहलुओं को आसान भाषाओ  में 


समझने का प्रयास करेंगे -

धर्मांतरण किसी ऐसे नये धर्म को अपनाने का कार्य है, जो धर्मांतरित हो रहे व्यक्ति के पिछले धर्म से अलग हो। एक ही धर्म के किसी एक संप्रदाय से दूसरे में जाना (उदा। साहू से आदित्य आदि) को सामान्यतः धर्मांतरण के बजाय पुनर्संबद्धता कहा जाता है।

.अनेक कारणों से लोग विभिन्न धर्मों में धर्मांतरित होते हैं, जिनमें विश्वास में हुए परिवर्तन के कारण 

1. स्वेच्छा से होने वाला सक्रिय धर्मांतरण

2. किसी लाभ के लिये किया जाने वाला धर्मांतरण 

3. वैवाहिक धर्मांतरण

4. बलपूर्वक किया जाने वाला धर्मांतरण 

1. स्वेच्छा से होने वाला सक्रिय धर्मांतरण

इसमें व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के क्रिया कलापो से प्रभावित होकर बिना किसी उदेस्य के उस धर्म को अपनाने में रूचि दिखता है और उस धर्मो को अपनाने के लिए पुराने धर्मो के रस्मो रिवाजो को भुला देता और नए धर्म के बंधनो से बंध  जाता है वह अपने उपनाम को भी अपने इच्छा के अनुसार बदलाव कर लेता है 

2. किसी लाभ के लिये किया जाने वाला धर्मांतरण -

आज कल इस प्रकार की धर्मांतरण अत्यधिक देखने को मिलती है व्यक्ति दूसरे धर्म की विचारो में कुछ इस हद तक खो जाता है की उसे किसी दूसरे धर्म में अपने धर्म से ज्यादा फ़ायदा नजर आता है और उस फ़ायदा के चक्कर में वह उस धर्म की ओर अपना आकर्षण बढ़ता है 

3. वैवाहिक धर्मांतरण-

यदि कोई एक धर्म को छोड़ कर किसी दूसरे धर्म के लड़के या लड़की से विवाह सम्बद्ध रखता है तो उसे वैवाहिक धर्मांतरण  कहा जाएगा इसमें लड़के या लड़की की पुर्णःता रजामंदी या बिना रजामंदी (बल पूर्वक विवाह रचाना ) भी हो सकती है 

4. बलपूर्वक किया जाने वाला धर्मांतरण -

किसी व्यक्ति या पुरे समुदाय को बल के द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए विवश करना और धर्म परिवर्तन करना इस प्रकार की धर्मांतरण पुराने ज़माने में ज्यादा देखि जाती थी राजाओ द्वारा अपने प्रजाओं को अपने धर्म को मानने  के लिए विवश किया जाता था यदि धर्म न मांनने  की स्थति में उसे विभिन्न प्रकार की सजाये दी जाती थी आप इतिहास पढ़कर इसके बारे में अच्छे से जानकारी मिल जाएगी

विभिन्न धर्म में धर्मांतरण- 

1. सिख धर्म

सिख धर्म द्वारा खुले तौर पर धर्म परिवर्तन किये जाने की जानकारी नहीं है, लेकिन इसमें धर्मांतरितों को स्वीकार किया जाता है।

2. जैन धर्म

जैन धर्म किसी भी ऐसे व्यक्ति को स्वीकार करता है, जो उनके धर्म को अपनाना चाहता हो। जैन धर्म में धर्मांतरित होने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिये शाकाहारी होना तथा अर्हतों व सिद्धों को अपने तीर्थंकरों के रूप में स्वीकार करना अनिवार्य होता है।

3. बौद्ध धर्म

पारंपरिक रूप से नव बौद्ध किसी भिक्षु, भिक्षुणी या ऐसे ही किसी प्रतिनिधि की “शरण लेते हैं” (तीन रत्नों — बुद्ध, धर्म, संघ — के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं)। बौद्ध मतानुयायी अक्सर एकाधिक धार्मिक पहचान रखते हैं और अपने धर्म को (जापान में) शिंतो के साथ या (चीन में; पारंपरिक चीनी धर्म के साथ) ताओवाद और कन्फ्यूशियसवाद के साथ संयोजित करते हैं।

बौद्ध-धर्म की समय-रेखा के दौरान, जब बौद्ध धर्म संपूर्ण एशिया में फैला, तो पूरे देशों और क्षेत्रों के धर्मांतरण की घटनाएं अक्सर होती थीं। उदाहरणार्थ, बर्मा में ग्यारहवीं शताब्दी में, राजा अनोरथ ने अपने पूरे देश को थेरवाद बौद्ध धर्म में धर्मांतरित कर दिया। बारहवीं शताब्दी के अंत में, जयवर्मन सप्तम ने खमेर लोगों के थेरवाद बौद्ध धर्म में धर्मांतरण की भूमिका तैयार की। सत्रहवीं सदी में, जापान में एडो काल के दौरान, ईसाईयत (जो पुर्तगालियों द्वारा जापान लाई गई थी) को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया और समस्त प्रजाजनों को बौद्ध या शिंतो मंदिरों में पंजीयन करवाने का आदेश दिया गया। २०वी सदी के मध्य में भीमराव आंबेडकर ने १० लाख हिंदू दलितों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, यह विशाल धर्मांतरण विश्व इतिहास का सबसे बड़ा धर्मांतरण है।



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