इस वर्ष तक हो जायेगा दुनिया की आबादी आधी

population decline : एक नई रिपोर्ट आई है, जो कहती है कि कुछ दशकों बाद भारत और दुनिया की बढ़ती आबादी पर ब्रेक लग जाएगा. इसके बाद आबादी बढ़ेगी नहीं बल्कि कम होने लगेगी. इसकी वजह ग्रोथ रेट में कमी भी हो सकती है, गर्भ निरोध के तरीकों के इस्तेमाल से ऐसा होगा. मौसम भी कहर ढहा सकता है तो बहुत हद तक बड़ी आबादी बूढ़ी हो चुकी होगी.

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एक अध्ययन बता रहा है कि वो समय कौन सा है जब सदियों से बढ़ती दुनिया की आबादी गिरने लगेगी. ये बात लैंसेट की नई रिपोर्ट में उजागर हुई है. जिसमें ये आकलन किया गया है कि ऐसा कब होने वाला है. वैसे ऐसा इसी सेंचुरी में शुरू होने वाला है.

इस समय दुनिया की आबादी 7.8 अरब मानी जा रही है. ये रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2064 तक दुनिया की आबादी और बढ़कर 9.7 अरब हो जाएगी लेकिन इसके बाद ये गिरने लगेगी. वर्ष 2100 में दुनिया की आबादी को गिरकर 8.79 अरब हो जाना चाहिए.

वर्ष 2064 आने में अभी 53 साल बाकी हैं लेकिन ये पक्का है यही वो समय होगा कि जब दुनिया की आबादी का ये उच्चतम बिंदू होगा. फिर आबादी कम होने की कई वजहें होंगी. जिसमें कम जन्म दर और बुढ़ी होती बहुसंख्य आबादी शामिल है. कम से कम 23 देशों में ऐसा होगा, जिसमें जापान, थाईलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, साउथ कोरिया और दूसरे देश रहेंगे, जिनकी आबादी में 50 फीसदी तक की गिरावट आ जाएगी

चीन की आबादी में आएगी कितनी कमी

चीन इस समय सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. वहां की आबादी 2017 में 1.4 अरब थी लेकिन भी 2100 तक आधी गिरकर 73.2 करोड़ के आसपास रह जाएगी.

कुछ देशों में ज्यादा भी होगी
हालांकि रिपोर्ट ये भी कहती है कि बेशक कुछ देशों में आबादी गिरेगी और इसका असर दुनिया की जनसंख्या पर पड़ेगा लेकिन कुछ जगहें ऐसी भी होंगी जहां आबादी बढ़ेगी, मसलन उत्तरी अफ्रीकी, मध्य पूर्व और सहारा अफ्रीका. यहां की आबादी मौजूदा 1.03 अरब से बढ़कर 3.07 अरब हो सकती है.

भारत में आबादी घटकर कितनी रह जाएगी
अध्ययन बताता है कि भारत में भी आबादी घटने लगेगी. फिलहाल 1.4 अरब के पास है, जो 2100 तक गिरकर 1.09 अरब होगी. दुनिया में पिछली बार जब आबादी में कमी आई थी, वो समय 14वीं सदी का था. उसकी वजह प्लेग था. ये अध्ययन इंस्टीट्यूट फार हेल्थ मीट्रि एंड इवैल्यूवेशन के ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर स्टेन एमिल वॉलसेट की अगुवाई में हुआ. उनका कहना है कि अगर हमारा अनुमान सही तो आबादी गिरने की वजह प्रजनन क्षमता में आई कमी होगी. कोई महामारी नहीं.

क्यों होगा ऐसा
रिपोर्ट कहती है कि गर्ल एजुकेशन और बेहतर होने से गर्भ रोकने के तरीके बढ़ेंगे और इससे प्रजनन क्षमता और आबादी दोनों घटेगी. वर्ष 2017 में प्रजनन क्षमता की दर 2.37 थी जो 2100 में 1.6 रह जाएगी.

मौसम भी निभा सकता है रोल
वैसे दुनिया के मशहूर साइंटिस्ट मिशियो काकु ने एक किताब “फिजिक्स ऑफ फ्यूचर -द इनवेशंस दैट विल ट्रांसफॉर्म अवर लाइव्स” में इस बारे में भरपूर तरीके से लिखा है. उन्होंने लिखा है कि वैसे मौसम विज्ञानियों की मानें तो 2030 तक जिस तरह मौसम करवट लेगा, वो मानव प्रजाति के लिए संहारक साबित होगा. गरमी बढऩे लगेगी. पानी की कमी के साथ हवा में आक्सीजन की कमी हो जायेगी. अनुमान है कि हमारी आबादी में सौ करोड़ तक की कमी आ सकती है. हालांकि कुछ और वैज्ञानिकों का मत अलग है, उनका कहना है कि आबादी पर रोक मौसम से कहीं ज्यादा ग्रोथरेट में कमी आने से होगी.

रोगों के प्रति कमजोर हो जाएंगे मानव
चूंकि हम ज्यादातर काम मशीनों से करेंगे और ग्लोबल वार्मिंग व प्रकृति से दूर होते जाएंगे लिहाजा अधिकाधिक नई बीमारियों के लपेटे में भी आएंगे. मशीनें हमें आराम तलब कर देंगी इससे हमारी मांसपेशियों में मजबूती खत्म होती जायेगी और हम कमजोर होते जाएंगे. बेशक चिकित्सा प्रोद्यौगिकी और एंटी बायोटिक के विकास से शरीर की प्रति रक्षा प्रणाली पर नकारात्मक असर ज्यादा हो सकता है.

60 के दशक के बाद किस तरह बदलेगा जीवन और दुनिया

मशहूर साइंटिस्ट मिशियो काकु ने एक किताब “फिजिक्स ऑफ फ्यूचर -द इनवेशंस दैट विल ट्रांसफॉर्म अवर लाइव्स” की किताब कहती है, “दूसरे ग्रहों और अंतरिक्ष पर कालोनियां बनाने की योजना शुरू होगी. किसी नये सौरग्रह का पता भी लग सकता है. हालांकि अंतरिक्ष की उड़ानें बहुत सामान्य हो जाएंगी. चूंकि प्राकृतिक ऊर्जा के संसाधनों के खत्म होने की उल्टी गिनती शुरू हो जायेगी लिहाजा वैकल्पिक ऊर्जा के लिए सूर्य के विकिरण या अंतरिक्ष के दूसरे ग्रहों पर खोज की मुहिम को रूप दिया जायेगा. तमाम देशों के बीच इन सब बातों को लेकर एक नया मंच बन जायेगा. आबादी बढ़ने की बजाए घटेगी. उसकी वजह ग्रोथ रेट में कमी के अलावा मशीनों और इंटरनेट आधारित जीवन पर आश्रित हो जाने के कारण प्रजनन ताकत में भी कमी आना हो सकता है. पुरानी परंपराओं को सहेजने की नाकाम कोशिशें जारी रहेंगी. पुरानी जीवन शैली और विकास संग्रहालय की वस्तु बन सकते हैं.”









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