आईएनएस विक्रांत

 

सोल: चीन और पाकिस्‍तान से टक्‍कर के लिए भारत ने अपने दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस व‍िक्रांत को आज नौसेना में शामिल किया है। भारतीय नौसेना जब व‍िक्रांत को शामिल किया है, ठीक उसी समय दक्षिण कोरिया से एक अहम खबर सामने आई है। दक्षिण कोरिया की सरकार ने फैसला किया है कि वह कोई भी एयरक्राफ्ट कैरियर अपनी सेना में शामिल नहीं करेगी। इसकी जगह पर दक्षिण कोरिया किलर मिसाइलों से लैस अत्‍याधुनिक पनडुब्बियों की फौज बनाने जा रहा है ताकि उत्‍तर कोरिया, चीन और रूस के किसी खतरे का करारा जवाब दिया जा सके। दक्षिण कोरिया के व‍िपरीत भारत में सामरिक गलियारे में तेजी से मांग उठ रही है कि चीन की बढ़ती समुद्री ताकत के बीच अरबों डॉलर के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण को मंजूरी दी जाए। वहीं भारत अभी परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण पर फोकस कर रहा है।


द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया अपनी पनडुब्बियों की संख्‍या को काफी ज्‍यादा बढ़ाएगा। इससे पहले दक्षिण कोरिया ने कहा था कि वह सीवीएक्‍स के नाम से पहला एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने जा रहा है। हालांकि अब साल 2023 के बजट में इस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए बजट का ऐलान नहीं किया गया है। इस खबर से अब दक्षिण कोरिया के अमेरिका के सबसे आधुनिक एफ-35बी स्‍टील्‍थ फाइटर जेट खरीदने की योजना को झटका लगा है। दक्षिण कोरिया अब अपनी पनडुब्‍ब‍ियों के बेड़े को बड़े पैमाने पर बढ़ाने जा रहा है। इसमें दोसान अहन चांघो क्‍लास की हमलावर पनडुब्‍बी भी शामिल है जो बलिस्टिक मिसाइल को लॉन्‍च करने में सक्षम है।

हाइपरसोनिक मिसाइलों के दौर में एयरक्राफ्ट कैरियर की उपयोगिता पर सवाल
दक्षिण कोरिया की सरकार ने साल 2023 के बजट का मंगलवार को ऐलान कर दिया। यह रक्षा बजट करीब 42.5 अरब डॉलर का है। दक्षिण कोरिया ने अपने रक्षा बजट को इस साल के लिए 4.6 प्रतिशत बढ़ाया है। दक्षिण कोरिया का साल 2022 के लिए बजट 40.6 अरब डॉलर था। साल 2023 में 12.7 अरब डॉलर नए हथियार खरीदने के लिए रखे हैं। इस बजट को शुक्रवार को संसद में रखा जाएगा ताकि मंजूरी हासिल की जा सके। ड्राइव की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया ने अब अपनी प्राथमिकता को बदल दिया है। दरअसल, दक्षिण कोरिया को उत्‍तर कोरिया के परमाणु हमले का खतरा है। दक्षिण कोरिया की नई सरकार ने चीन के दोस्‍त उत्‍तर कोरिया के प्रति रक्षात्‍मक रवैया छोड़कर अब सख्‍त रुख अपनाना शुरू कर दिया है।

इससे पहले दक्षिण कोरिया भारत के व‍िक्रांत के बराबर ही 45 हजार टन एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना चाहता था लेकिन अब उसने इरादा बदल दिया है। दक्षिण कोरिया अपना खुद का फाइटर एयरक्राफ्ट बना रहा है। भारत के विक्रांत को बनाने में जहां 20 हजार करोड़ का खर्च आया है, वहीं इसे चलाने में भी हर साल काफी खर्च आएगा। दरअसल, हाइपरसोनिक मिसाइलों के इस दौर में अब एयरक्राफ्ट कैरियर की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं। उत्‍तर कोरिया के पास कई महाविनाशक मिसाइलें हैं। किम जोंग का दावा है कि उनके देश ने हाइपरसोनिक मिसाइलें बना ली हैं। दुनिया में अभी किसी भी देश के पास इन किलर हाइपरसोनिक मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि एयरक्राफ्ट कैरियर नौसैनिक ताकत सबसे अछा प्रतीक है लेकिन यह दक्षिण कोरिया के लिए फिट नहीं बैठता है जो प्रमुख रूप से उत्‍तर कोरिया के खतरे का सामना कर रहा है

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